वित्तीय योजनाओं में निवेश करने के विभिन्न तरीके हैं, जिनमें से पीपीएफ (PPF) और एसआईपी (SIP) दो प्रमुख विकल्प हैं। पीपीएफ एक सरकारी निवेश योजना है जो भारतीय नागरिकों को लंबे समय तक निवेश करने की सुविधा प्रदान करती है, जबकि एसआईपी एक आम निवेश योजना है जिसका उद्देश्य निवेशकों को नियमित तौर पर निवेश करने के माध्यम से संपत्ति बनाना है। इस लेख में हम जांचेंगे कि क्या पीपीएफ लंबे समय में एसआईपी से बेहतर है या नहीं।
पीपीएफ (PPF): पीपीएफ एक लंबे समय के लिए निवेश करने का प्रमुख माध्यम है। यह निवेश योजना सरकार द्वारा प्रबंधित की जाती है और इसे पोस्ट ऑफिस या बैंक में खाता खोलकर शुरू किया जा सकता है। पीपीएफ में निवेश किया गया धन लंबे समय तक बंद रहता है और इसे एक निश्चित ब्याज दर पर बढ़ाया जाता है। यह निवेशकों को नियमित तौर पर आय प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है और टैक्स की दृष्टि से भी छूट देता है।
एसआईपी (SIP): एसआईपी एक आम निवेश योजना है जिसमें निवेशक नियमित अंतराल पर निवेश करते हैं। निवेशक चाहे तो इसे एक निवेश फंड या एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के माध्यम से शुरू कर सकते हैं। एसआईपी की मुख्य विशेषता है कि यह निवेशकों को अपने बजट के अनुसार निवेश करने की सुविधा प्रदान करता है। इसके अलावा, यह निवेशकों को बाजार के सामरिकता से बचने में मदद करता है और निवेशकों को लंबे समय तक धीरे-धीरे दौलत बनाने का मौका देता है।
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क्या पीपीएफ लंबे समय में एसआईपी से बेहतर है?
- निवेश की सुरक्षा: पीपीएफ सरकार द्वारा प्रबंधित होता है और यह निवेशकों को एक सुरक्षित विकल्प प्रदान करता है। इसके खिलाफ कोई विपरीत परिस्थिति उत्पन्न होने पर भी प्रधानमंत्री गारंटी योजना के तहत इसे सुरक्षित रखा जाता है। वहीं, एसआईपी निवेश में बाजार की सामरिकता का सामना करना पड़ सकता है, जो निवेशकों के लिए कुछ संक्रमित निवेशकों को परेशानी पैदा कर सकती है।
- निवेश विकल्प: पीपीएफ में निवेश करते समय निवेशकों को सिर्फ एक ही विकल्प उपलब्ध होता है, जबकि एसआईपी में विभिन्न निवेश फंड और पर्याप्त विकल्प उपलब्ध होते हैं। यह निवेशकों को अपने निवेश के लिए अधिक चयन की सुविधा प्रदान करता है और वे अपने निवेश को विभिन्न एसेट क्लासों में वितरित कर सकते हैं।
- लिक्विडिटी: पीपीएफ निवेश को लंबे समय तक बंद रखने की आवश्यकता होती है और उसके अवधि में निवेशक इसे पूरी तरह से निकालने की सुविधा नहीं प्राप्त कर सकते हैं। वहीं, एसआईपी में निवेशक अपने निवेश को आसानी से निकाल सकते हैं, जो उन्हें लिक्विडिटी की अधिक सुविधा प्रदान करता है।
- टैक्स की दृष्टि से छूट: पीपीएफ में निवेश करते समय निवेशकों को आयकर के तहत छूट प्राप्त होती है, जबकि एसआईपी में निवेश करने पर केवल निवेश के आय पर ही कर लगता है।
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निष्कर्ष:
दूसरी ओर, पीपीएफ निवेशकों को सुरक्षा और नियमित आय की सुविधा प्रदान करता है, जबकि एसआईपी निवेशकों को लिक्विडिटी, विकल्पों की विस्तारित उपलब्धता, और बाजारी सामरिकता के साथ धीरे-धीरे बढ़ती दौलत के मौके प्रदान करता है। इसलिए, निवेशकों को अपनी आवश्यकताओं, लक्ष्यों, और वित्तीय योजनाओं के आधार पर अपने निवेश विकल्पों को विचारपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए।