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एचपीवी यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के बारे में विस्तार से जानिए

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एचपीवी
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  • HPV का Full form in Hindi ह्यूमन पैपिलोमा वायरस होता है।
  • एचपीवी एक वायरस जनित बीमारी है। ह्यूमन पैपिलोमा वायरस को आमतौर पर महिलाओं की बीमारी माना जाता है। लेकिन, एचपीवी महिला और पुरुष दोनों को हो सकने वाली बीमारी है।
  • एक आंकड़ें के अनुसार लगभग 80 प्रतिशत  यौन सक्रिय पुरुषों और महिलाओं को उनके जीवनकाल में यह बीमारी एक न एक बार जरुर होती है।
  • यह एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में जागरुकता कम है और यह बीमारी अपन-आप ठीक भी हो जाती है। हालांकि कई मामलों में  कैंसर जैसी बीमारी का रुप भी धारण कर सकती है।

इस आर्टिकल में आपको एचपीवी के बारे में तथा इसके लक्षण और उपचार के बारे में जानकारी मिलेगी।

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एचपीवी क्या है?

एचपीवी 100 से अधिक वायरसों का एक समूह है जो त्वचा से त्वचा के संपर्क से फैलता है। इस  वायरस के लगभग 100 से अधिक स्ट्रेन (उपभेद) पाए जाते हैं जिनमें से करीब 40 यौन क्रियाओं के माध्यम से फैलकर मुंह, गले और जननांगों को संक्रमित कर सकते हैं।  

अधिकांश एचपीवी मामलों में कोई स्पष्ठ लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, और संक्रमण कम समय में अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में, संक्रमण लंबे समय तक हो सकते हैं और इसका परिणाम मस्से से लेकर कैंसर जैसी जटिल बीमारी तक हो सकता है।

चूंकि एचपीवी किसी भी प्रकार के  सीधे त्वचा से त्वचा के संपर्क से फैलता है, इसलिए यह जरुरी नहीं है कि संभोग क्रिया ही इसके फैलने का कारण बने। हालांकि, अधिकांश संक्रमण मामले मौखिक, गुदा और योनि सेक्स के माध्यम से होते हैं। 

इसके अलावा, विभिन्न स्ट्रेन के संपर्क में आने पर कई बार एचपीवी वायरस का संक्रमण फैल सकता है। कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि गर्भवती महिला के शिशु में भी एचपीवी संक्रमण फैल गया है। इस तरह के मामले बच्चे के लिए बहुत कठिन हो जाते हैं, क्योंकि ऐसे मामलों में बच्चे के गले या वायुमार्ग के अंदर मस्सा विकसित होने की संभावना रहती है। इस स्थिति को आवर्तक श्वसन पैपिलोमाटोसिस कहा जाता है।

एचपीवी और इसके लक्षण

एचपीवी संक्रमण के ज्यादातर मामलों में कोई स्पष्ठ लक्षण दिखाई नहीं देता है। एचपीवी के वायरस व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमताओं के मुताबिक  शरीर में तीन महीने से दो साल तक रह सकते हैं। इस दौरान एचपीवी से पीड़ित व्यक्ति वायरस को प्रसारित कर सकता है यानी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक वायरस फैल सकता है। एचपीवी के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं तो कुछ लक्षण दिखाई भी नहीं देते हैं।

एचपीवी के दिखाई देने वाले लक्षण

एचपीवी के दिखाई देने वाले लक्षण हानिकारक हो सकते हैं। किसी के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकते हैं तथा बाद में कैंसर जैसी बीमारी का कारण भी बन सकते हैं। इन लक्षणों में त्वचा, गले और जननांग पर मस्सा बनना शामिल हैं। यह एचपीवी लक्षण बाद में गले के कैंसर के साथ-साथ सर्वाइकल कैंसर तक बन सकते हैं। 

हालाकिं एचपीवी से उत्पन हुए जननांग पर मस्सा कैंसर का कारण नहीं होता है। एचपीवी से संबंधित कैंसर के लक्षण अक्सर तब तक प्रकट नहीं होते जब तक कि रोग अपने चरम तक नहीं बढ़ जाता है यानी वायरस जब तक अपने अंतिम चरण में नहीं पहुंचता है, तब कैंसर जैसी बीमारी का कोई खतरा नहीं होता है। 

एचपीवी से बचाव का सबसे सही तरीका है कि समय-समय पर शरीर की मेडिकल जांच कराई जाय और स्वास्थ्य समस्याओं का पता लगने पर जल्द से जल्द डॉक्टर की सलाह अनुसार ईलाज कराया जाय।

एचपीवी पुरुषों को कैसे प्रभावित करता है?

पुरुषों को महिलाओं की तुलना में एचपीवी से संबंधित खतरा जरा कम होता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पुरुषों में यह वायरस नहीं फैलता है। अधिकांश पुरुषों में एचपीवी से संक्रमण का कोई लक्षण स्पष्ठ नहीं दिखाई देते हैं, हालांकि कुछ पुरुषों में जननांग पर मस्से हो सकते हैं।

कुछ एचपीवी स्ट्रेन पुरुषों में गले, गुदा और लिंग का कैंसर पैदा कर है। यदि किसी पुरुष को अपने गले, लिंग, अंडकोश या गुदा पर कोई अजीब गांठ या घाव दिखे तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरुरी हो जाता है। 

इसके अलावा, जो पुरुष गुदा मैथुन में संलग्न होते हैं और जिनकी रोग प्रतिरोधक प्रणाली कमजोर है, उन्हें अन्य पुरुषों की तुलना में एचपीवी से बचाव के लिए अधिक संवेदनशील होना चाहिए। 

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एचपीवी महिलाओं को कैसे प्रभावित करता है?

कई बार पुरुषों की तरह ही महिलाओं में भी एचपीवी का कोई स्पष्ठ लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। कई बार संक्रमण होकर अपने-आप ठीक भी हो जाता है। 

यदि किसी महिला के जननांग के पास, योनि के अंदर, गुदा के भीतर या आसपास या गर्भाशय ग्रीवा में मस्सा दिखाई दे या महसूस हो तो उन्हें तुरंत अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए और ईलाज कराना चाहिए।

कुछ एचपीवी स्ट्रेन गले, योनि, या गुदा को प्रभावित  करते हैं और विश्व स्तर पर महिलाओं के सर्वाइकल कैंसर के अधिकांश मामलों के कारण बनते हैं। यह एचपीवी को खतरनाक बनातो हैं। 

महिला गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के मामलों से बचने के लिए नियमित रुप से शरीर की मेडिकल चांज कराई जा सकती है। इसके अलावा जननांग विकृतियों से जुड़े एचपीवी स्ट्रेन से बचने के लिए गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं की डीएनए जांच कारगर उपाय साबित हो सकती है। 

क्या एचपीवी का इलाज किया जा सकता है?

एचपीवी का कोई इलाज नहीं है क्योंकि अधिकांश मामले अपने आप ठीक हो जाते हैं। हालांकि अपने बचाव के लिए साल में कम से कम एक बार अपने शरीर की मेडिकल जांच कराई जा सकती है। जांच में अगर कोई एचपीवी स्ट्रेन पाया जाता है तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा लेनी चाहिए। 

डॉक्टर की सलाह से जननांग मस्से का इलाज संभव है। हालांकि यह ध्यान देने वाली बात है कि शारीरिक मस्से को खत्म करने से एचपीवी वायरस का अंत नहीं होता है।

जो महिलाएं पहले से सतर्क होती हैं और नियमित रुप से डॉक्टर से सलाह लेती हैं, उनके मामलों में कैंसर का इलाज संभव है। एचपीवी के कारण होने वाले कैंसर के उपचार के विकल्पों में सर्जरी (ऑपरेशन),रेडिएशन थेरेपी, और कीमोथेरेपी इत्यादि कारगर उपाय है।

एचपीवी संक्रमण और सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए, एचपीवी, दिनचर्या से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं की जांच, उपचार और निदान करने के लिए स्क्रीनिंग महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष – एचपीवी को रोका जा सकता है!

संभोग के समय कंडोम का उपयोग करना और सुरक्षित यौन क्रियाओं का पालन करना एचपीवी के संक्रमण को रोकने की दिशा में प्रथम और बेहद कारगर कदम है।

इसके अतिरिक्त, जननांग मस्सा और कैंसर से बचाने के लिए एचपीवी वैक्सीन (टीका) आसानी से उपलब्ध है। एचपीवी वैक्सीन जननांग एचपीवी से जुड़े नौ स्ट्रेन को आसानी से रोक सकती है।

लड़कों और लड़कियों को 11 या 12 साल की उम्र तक एचपीवी वैक्सीन (टीका) लगवाना चाहिए। महिलाओं और पुरुषो दोनों के लिए 15 से 26 साल की उम्र में भी वैक्सीन की तीन खुराक उपलब्ध है। 

एचवीपी वैक्सीन (टीका) 27 से 45 वर्ष के पुरुषों और महिलाओं को भी लगवाना चाहिए, क्योंकि  इससे उन्हे अधिक जोखिम वाले एचवीपी के प्रकारों से बचाव मिल सकता है। 27 से 45 साल के महिला और पुरुषों को सलाह दी जाती है कि वह नियमित रुप से पैप स्मीयर और मेडिकल जांच करवाएं और एचपीवी के खतरों से दूर रहें।

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